मुझे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सदस्य होने पर गर्व है.
मुझे गर्व है मैं उस दल से जुड़ा हुआ हूँ जिसने पंथनिरपेक्ष भारत की संरचना की.
मुझे गर्व है पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर जिन्होंने हार के बावजूद कभी अपने मूल सिधान्तों को नहीं छोड़ा.
आज के दौर में जहाँ शीर्ष नेतृत्व पर हार का आरोप जड़ना fashionable हो गया है. हम सब कांग्रेस जन को अपने अन्दर झांकर देखने की भी ज़रुरत है.
यह वक़्त है पार्टी को मंथन करने का इन निम्न बिन्दुओं पर:
- कांग्रेस जन को एक तराजू में ना तोला जाए. समय है सच्चे और भितरघातियों में फरक करने का.
- पार्टी के वफादार और नेता के वफादारों में फरक करना होगा.
- ऐसे लोगों को चिन्हित करने का जिनकी पूरी राजनीती एक दुसरे को निपटाने में ही खप जाती है.
- ऐसे सदस्यों को चिन्हित करने का जो चुनाव के वक़्त अपना कार्य क्षेत्र छोड़ कर ऐसे जगह लग जाते हैं जहाँ उनकी जान है ना पहचान.
- सत्ता में भागीदारी चाहने वालों को सत्ता में पहुँचाने के लिए किये गए कार्यों का हिसाब देना होगा.
- नेताओं को टिकेट वितरण से पहले कार्यकर्ताओं की भावना का ध्यान रखना होगा क्यूंकि ऊपर से थोपी गयी उम्मीदवारी कार्यकर्त्ता को हताश और मायूस कर देती है.
- नेताओं को सुनिश्चित करना होगा की उनके अनुयायी पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवार के लिए ही काम करें.
- पार्टी की वजह से सत्ता सुख भोगते नेताओं को पार्टी का हित सर्वोपरी रखना होगा.
जब यह सब होगा तभी सच्चे कांग्रेसी अपने को ठगा महसूस न करेंगे और जी जान से काम करेंगे हमेशा के तरह.
जय हिन्द – जय कांग्रेस
दीपक सुखाड़िया