ADVANI JI

भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोक सभा के लिए अपने उम्मीदवार हाल ही में घोषित किये, चर्चा टिकेट मिलने से ज्यादा जिनको नहीं मिला उनकी थी, मुख्यतः आदरणीय लाल कृष्ण आडवाणी जी की!!

उनके बारे में आज कल कम ही सुनने और पढ़ने में आता है जब से उनके शिष्य और हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने उनको मार्ग दर्शक मंडल में डाल दिया है. कभी कभार आप श्री के हाथ जोड़े वाले विडियो ज़रोर वायरल हो जाते हैं.

लेकिन पिछले दो दिन से अडवानी जी सुर्ख़ियों में नज़र आ रहे हैं जब से उनकी पारंपरिक सीट पर मोटा भाई को लड़ाने का निर्णय लिया है. कारण कोई भी चाहे उनको टिकेट नहीं दिया या उन्होनें स्वयं मना कर दिया , एक बात तो पक्की है की वाजपेयी जी के युग के नेताओं का युग का समापन. वह युग जहाँ राजनेताओं में थोड़ी बहुत आँख की शर्म और आपसी सामंजस था और अब की तरह विषैला, संकीर्ण और कटुता भरा नहीं था.

एक बात कुछ दिनों से ज़रोर सुनने को आ रही है की उन्होनें अपनी पुत्री प्रतिभा जी को अपनी जगह टिकेट देने से मना कर दिया क्यूंकि वह वंशवाद नहीं फैलना चाहते. आशा करता हूँ की इस सिधांत पर उन के परिवार जन हमेशा द्रढ़ संकल्पित रहे क्यूंकि यह भले ही सुनने में अच्छा लगा लेकिन सत्ता के मीठे फल को छोड़ने का मन आज तक इतनी आसानी से आगामी पीढीयों में देखने को नहीं मिला.

इतिहास उन के राजनीतिज्ञ के रूप का आकलन कैसा करेगा? एक ऐसे नेता के रूप में जिसने १९८४ की 2 सीटों वाली पार्टी को श्रीराम के सहारे मात्र एक दशक में सत्ता के करीब ले आने वाले या एक लौह पुरुष के रूप में जिसने कंधार में आतंकियों को छोड़ा था ??

या उस व्यक्ति को याद रखेगा जिसने भारत को धर्म के नाम के दो हिस्सों में बंटवारा किया और जिनके मकबरे पर आपने उनको सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति कहा, मैं बात कर रहा हूँ क़ैद-ऐ-आज़म मोहम्मद अली जिन्नाह की.

मेरे लिए अडवानी जी हमेशा वोह व्यक्ति रहेंगे जिनकी सोची-समझी रणनीति के तहत निकाली रथ यात्रा जहाँ जहाँ से निकली दंगे और समाज में अविश्वास फैलाते चलती गयी. ऐसी रथ यात्रा जो शरू तो हुई थी १९९० में लेकिन जिसके पहिये ना जाने कितने घर दबाये आज तक हमारे दिलो में एक दुसरे के खिलाफ शक और पूर्वाग्रह लिए निरंतर घुमती जा रही है. मैं उनको हमेशा याद रखूँगा जिनके कारण मैंने पहली बार मेरे शहर में कर्फ्यू लगते हुए देखा 6 दिसम्बर की घटना के बाद. जहाँ तक मुझे याद है तब शायद ही मेरे शहर में कोई दंगा हुआ था, शुक्र है उस समय व्हात्साप नहीं था वरना ना जाने मात्र अफवाहों से कितनों की जानें और चली जाती.

आशा है की अब सार्वजनिक जीवन से अलविदा ले अपने सगे-सम्बन्धी और शुभ चिंतकों के बीच सुख-समर्धि से रहे.

Published by Deepak Sukhadia

A proud Congressman and a Rotarian !! An avid book reader, movie buff and a cycling enthusiast.

One thought on “ADVANI JI

  1. सही मायनो मे यह आडवाणी जी अपने लम्बे राजनितिक सेवा कार्य की विराटता होगी की पक्ष औऱ विपक्ष क्या आदर स्वरुप कुछ कहे बिना नहीं रह सकते !
    आपके कृतित्व की विवेचना हो सकती हैँ !राजीनीतिक चश्मे से ना देख गूढ़ आकलन हो तो अविस्मरणीय उपलब्धि !

    Like

Leave a reply to Pawan Cancel reply