
प्रिय कुक्की,
मेरी प्यारी, बिगड़ैल कुक्की! जितना प्यार और दुलार तुम पर लुटाया, उसका ये सिला मिला कि आज तुम्हारी वजह से पड़ोस में हमारी प्रतिष्ठा धूमकेतु बनकर गायब हो गई है।
याद है वो ऑफिस वाली दीदी? वही, जो बिस्किट खिलाने के बहाने आती थीं लेकिन असल में गब्बर और तुम्हारी खुफिया जांच करती थीं । उनके पास गिद्ध की नजर और सीआईडी वाले कान हैं, और आज उनकी “एनिमल विजिलान्टी” फीलिंग की वजह से हमारी ज़िंदगी में भूचाल आ गया।
तुम्हारी भौंकने की आवाज़ सुनकर दीदी के दिल के तार ऐसे झनझनाए जैसे कोई सस्ता गिटार। एक पल में तय कर लिया कि तुम भूखी-प्यासी हो, और हम तुम्हें बंधक बनाकर “श्वान-न्याय” से वंचित कर रहे हैं। अगले ही पल, उन्होंने NGO को फोन घुमा दिया जैसे किसी फिल्म में नायक मदद के लिए गुहार लगाता है। शुक्र है कि उनके मिशन “कुक्की बचाओ” के बावजूद, हम जेल जाने से बच गए। लेकिन कुक्की, क्या तुमने कभी सोचा कि ये सब ड्रामा तुम्हारी वजह से हो रहा है?

अब सच-सच बताओ, कुक्की—क्या तुम्हें यहां वो सारी सुविधाएं नहीं मिल रहीं, जो शायद किसी फाइव-स्टार होटल में भी नहीं मिलेंगी? दिनभर एसी में सोना, हमारे सोफे और बिस्तरों को अपने बालों से सजाना, जूतों और चप्पलों को अपने कष्टकारी दांतों का इलाज देना—हमने कभी कुछ कहा? ननिहाल से आई हो इसलिए मम्मी भी कुछ नहीं कहती। फिर भी, तुम्हारे लिए दीदी को ताने सुनने पड़े।
सच कहूं, अब दीदी के घर जाकर खुद देखना है कि वो कैसा “बिस्किट-योग” करती हैं, और ऑफिस की खिड़की से कौन-कौन सी “प्योर फिक्शन” कहानियां गढ़ती हैं। अगर मौका मिला, तो उनकी खिड़की पर खड़े होकर एक स्पेशल एपिसोड सुन ही लेंगे—”ताक-झांक की नई ऊंचाइयां”।
वैसे, तुम्हें खुशी की खबर दूं—NGO वालों को हमने “डराओ, पर पास मत आओ” समझा दिया है। तो अब तुम बेफिक्र होकर भौंको, और दीदी को उनका “अभियान-ए-कुकी” जारी रखने दो। क्योंकि दीदी तुम संघर्ष करो , हम (मैं, कुक्की और गब्बर) तुम्हारे साथ हैं !!
और हां, अगर दीदी अपने प्यार को थोड़ा कम पब्लिकली दिखाएं, तो हमें भी सुकून मिलेगा।
तुम्हारे संघर्ष के साथी, तुम्हारा प्यारा इंसान (हूँ ना ?)
दीपक
I have known Deepak since last 2 decades and he’s a true pet lover.
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Thank you for this !! Really needed this
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