दो दिन पूर्व नानीजी अपने भगवान् महावीर के पास हमेशा के लिए चले गए और साथ ही गुज़र गया मेरे बचपन का कुछ हिस्सा और छोड़ गया तो सिर्फ धुंधली ओझल यादें. मेरे को उनकी पीढ़ी से जोड़ती वह आखरी कढ़ी थी जो हमेशा के लिए खुल गयी. अब कौन देखेगा हम सब को मोटेContinueContinue reading “नानीजी”