एक युग का समापन

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आज सुबह जैसे ही उठा और अपना मोबाइल देखा तो एक मेसेज पड़ा और ज्ञात हुआ की आज भानु का तेज और प्रकाश हमारे जीवन से हमेशा हमेशा के लिए चला गया .

हृषिकेश भैया का यह मेसेज अपने साथ न सिर्फ आदरणीय भानु कुमार जी शास्त्री जी के निधन और उनकी सफल और प्रेरणादायक जीवन यात्रा का अंत लाया था और शायद उसी के साथ उनके और मेरे दादा स्व. मोहनलाल जी सुखाड़िया के ज़माने के उसूलवादी , सहजता अवं आत्मीयता वाली राजनीती अवं राजनीतिज्ञों पर पूर्णविराम था. आदरणीय भानु जी ऐसे युग का नेतृत्व किया जहाँ द्वेष, बदले और प्रतिद्वंदी के प्रति असम्मान की कोई जगह नहीं थी. वोह उस दौर के नेता था जहाँ राजनीती सेवा थी ना की रोज़गार का एक और साधन.

मेरा सबसे पहले उनसे वाकिफ मेरी दादी स्व. इन्दुबाला जी सुखाड़िया के लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ जो वह भानु कुमार जी के सामने लड़ रहीं थी. मैं लगभग ६-७ साल का था और ऐसे ही हम सब घर के बच्चे बे-सर-पैर के नारे लगा रहे थे भानु जी के खिलाफ. मुझे आज भी याद है की दादी ने मुझे डआंट लगायी और कहा की ऐसे नहीं करते. यह था प्रतिद्वंदी की प्रति सम्मान. समय बीतता गया और साथ ही जानने के मौका मिला की हमारे परिवार का कोई भी शुभ काम उनके पूछे बगैर नहीं होता, यह था दोनों परिवार के बीच के सम्बन्ध. भानु जी दादा-दादी दोनों के सामने चुनाव लड़े लेकिन हमारे पारिवारिक संबंधों में कभी नाम मात्र भी कटुता नहीं आई.

हमारे परिवार की सारी जन्म कुंडलियाँ उनके द्वारा ही बनायीं गयी है. कुछ वर्षों पहले मैंने एक चुनाव लड़ने का मानस बनाया. सबसे पहले पापा – मम्मी उन्हीं के पास मेरी पत्री ले कर गए, देखते ही उन्होनें चुनाव ना लड़ने की हिदायत दी. लेकिन मेरी जिद और कुछ नासमझी में वोह चुनाव मैं लड़ा और हारा. बात को स्पष्ट कहना उनकी आदत थी चाहे तब कही या कहीं मिल जाते और मेरा वज़न बड़ा होता तो वहीँ टोक देते थे. ऐसे थे भानु जी ….

कई बार उनसे मिलने के लिए सोचना पड़ता था क्योंकि बाउजी के पास किस्सों का पिटारा था और उनसे मिलना मतलब पूरा समय देना क्योंकि उन किस्सों में समय का मालूम ही नहीं चलता. बीते कुछ वर्षों से उनका फेसबुक पर दिखना एक सुखद अनुभव था. उदयपुर और राजस्थान में उन्होंने जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी का ऐसा बीज बोया जिसके फलों का फायदा आज उनकी पार्टी को मिल रहा.

आखरी बार उन्हीं के घर पर उनके ९२ वें जन्मदिन के मौके पर मिलना हुआ और उम्र के उस पड़ाव में भी उनकी कभी न कम होने वाली उर्जा और बुलंद आवाज़ अब हमेशा कानों में गूंजती रहेगी ……

Published by Deepak Sukhadia

A proud Congressman and a Rotarian !! An avid book reader, movie buff and a cycling enthusiast.

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